90 के दशक में इंसानी फितरत और रिश्ते
उस ज़माने में लोगों की फितरत सीधी-सादी हुआ करती थी।
ज़्यादा दिखावा नहीं होता था, बस एक-दूसरे के लिए सच्ची परवाह हुआ करती थी।
प्यार छुप-छुप के होता था, लेकिन दिल से होता था।
एक चिट्ठी में लिखा "तुम याद आते हो" — उसका अपना ही जादू होता था।
लोग एक बार कमिटमेंट करते थे तो उसे निभाने की पूरी कोशिश करते थे।
भरोसा, सब्र और बलिदान — यही तीन चीजें हर रिश्ते की नींव होती थीं।
तब मोबाइल नहीं थे, पर दिलों का कनेक्शन मजबूत होता था।
शायरी और नज़्में रिश्ते जोड़ने का काम करती थीं।
दोस्ती में वफादारी और प्यार में सच्चाई हुआ करती थी।
आज जहां स्पीड ज़रूरी है,
वहां 90s में गहराई मायने रखती थी।
90s के ज़माने की शादियाँ एकदम अलग एहसास देती थीं —
ना आज जैसा सोशल मीडिया का दबाव,
ना डिज़ाइनर लहंगों का क्रेज,
पर जो भी था, उसमें असलियत, रिश्तों की गहराई और एक सादा सुकून था।
💛 "90 के दशक की शादियाँ – दिल से, स्टाइल से नहीं"
अरेंज्ड मैरिज ही चलन में थी — मम्मी-पापा मिलकर रिश्ता तय करते थे,
और लड़का-लड़की शादी के दिन ही अच्छे से मिलते थे।
शादी से पहले ज़्यादा मिलना-जुलना मना होता था,
इसलिए उत्साह का स्तर कुछ और ही होता था।
कार्ड से निमंत्रण जाता था, कोई WhatsApp ग्रुप नहीं बनता था।
वीडियो शूट VHS टेप पर होती थी, और वो कैमरामैन हर समय ज़ूम करके लोगों के चेहरे पर कैमरा ले जाता था 😄।
बारात में DJ नहीं, लाइव बैंड होता था,
और "सात समंदर पार" या "तू चीज़ बड़ी है मस्त" पर लोग खूब नाचते थे।
शादी का खाना सादा पर स्वादिष्ट होता था — पूरी, सब्ज़ी, जलेबी और कुल्फी।
रिश्ते भावनात्मक होते थे, लोग "शादी एक समझौता नहीं, एक वचन है" जैसे विचारों को गंभीरता से लेते थे।
तलाक के मामले कम होते थे, क्योंकि लोग छोटी बातों पर रिश्ते नहीं तोड़ते थे — मिलकर संभालते थे।
🧡 90s की शादियाँ सोशल मीडिया पर दिखाने लायक नहीं होती थीं,
पर यादों के एल्बम में सोने जैसी होती थीं।
21वीं सदी का प्यार और रिश्ते – स्पीड में इमोशन
प्यार अब DMs से शुरू होता है, और रील्स पर स्टेटस अपडेट होता है।
पहले आँखों का मिलना प्यार होता था, अब “टाइपिंग के बाद seen रह जाना” दिल टूटने की निशानी है।
Swipe कल्चर ने प्यार को "options" बना दिया है,
जहाँ किसी एक को चुनने से पहले 100 प्रोफाइल्स देखी जाती हैं।
रिश्तों में अब सब्र कम हो गया है।
थोड़ी सी गलतफहमी हुई, तो लोग “I need space” कहकर दूर हो जाते हैं।
अब public validation ज़रूरी हो गया है।
रिलेशनशिप तभी "official" लगता है जब Instagram पर #CoupleGoals वाला पोस्ट हो।
प्यार है, लेकिन रफ़्तार में है।
ज़्यादा सोचना नहीं, ज़्यादा महसूस करना नहीं — बस पल के हिसाब से चलना है।
भावनाएँ असली होती हैं, पर लोग उन्हें खुलकर जताने से डरते हैं —
कभी अहंकार, कभी ट्रस्ट इश्यूज़ की वजह से।
💬 "21वीं सदी का प्यार थोड़ा स्मार्ट है, थोड़ा डरा हुआ – कनेक्शन है, पर स्थिरता की जंग है।"
आज की शादियाँ और रिश्ते मॉडर्न तो हो गए हैं,
पर कहानी थोड़ी जटिल भी हो गई है।
प्यार है, compatibility का क्रेज़ है,
पर long-term commitment को लेकर सवाल भी हैं।
पहले कहा जाता था — "शादी के बाद प्यार होता है",
अब कहा जाता है — "प्यार के बाद शादी होती है — वो भी शायद।"
💍 आज की शादियाँ और रिश्ते – मॉडर्न लुक, मिक्स्ड फीलिंग्स
अब प्यार से पहले करियर आता है,
लोग पहले खुद को सेट करना चाहते हैं, फिर शादी।
पर कभी-कभी सेट होते-होते दिल का कनेक्शन ही कमजोर हो जाता है।
शादी अब सिर्फ परिवार का फैसला नहीं होती,
लड़का-लड़की अपनी मर्ज़ी से चुनते हैं — जो अच्छी बात है!
लेकिन कभी-कभी ये "चॉइस" कन्फ्यूज़न में बदल जाती है।
Big fat wedding का कल्चर ज़्यादा है —
डेस्टिनेशन वेडिंग, प्री-वेडिंग शूट, Instagram रील्स...
लगता है शादी से ज़्यादा लोग उसकी "हाइलाइट स्टोरी" के लिए एक्साइटेड हैं।
भावनात्मक गहराई कम और व्यवहारिक सोच ज़्यादा हो गई है।
लोग प्यार करते हैं, लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसी जैसी शर्तों के साथ —
“अगर नहीं चला तो मूव ऑन कर लेंगे।”
रिश्तों में आज़ादी है, पर डर भी है।
लोग खुले विचारों के हैं, लेकिन कमिटमेंट से डरते हैं।
भरोसा बनाना मुश्किल हो गया है —
हर किसी को बैकअप चाहिए, पर कोई पूरी तरह से समर्पित नहीं होता।
❤️🔥 "आज की शादी स्टाइलिश है, पर संघर्ष भरी भी है।"
रिश्ता है, लेकिन हर समय इम्तहान में है।
❓ "आजकल शादियाँ क्यों नहीं चलती?"
1. 🧠 अपेक्षाएं बनाम सच्चाई:
पहले शादी एक समझौता थी — अब एक अपेक्षा बन गई है।
हर कोई परफेक्ट पार्टनर चाहता है,
पर खुद में बदलाव नहीं लाना चाहता।
हर छोटी बात पर लगता है — “ये डिज़र्व नहीं करता/करती।”
2. 🗣 कम्युनिकेशन गैप:
ज़माना तेज़ हो गया है, लेकिन लोग बातचीत करना भूल गए हैं।
झगड़ा होता है तो सुलझाने के बजाय लोग या तो इग्नोर करते हैं या दूर हो जाते हैं।
ईगो ज़्यादा, सब्र कम।
3. 📱 सोशल मीडिया का दबाव:
रील लाइफ असली ज़िंदगी से ज़्यादा ज़रूरी बन गई है।
लोग दूसरों के रिश्तों को देखकर अपने रिश्तों को जज करते हैं —
"वो इतना रोमांटिक है, मेरा क्यों नहीं?"
ये तुलना रिश्तों को ज़हर बना देती है।
4. 💼 आज़ादी और स्वतंत्रता:
आजकल लड़का हो या लड़की — दोनों स्वतंत्र हैं।
इसलिए रिश्ते में एडजस्ट करना सबको समझौता लगता है।
जबकि हर रिश्ते में थोड़ा झुकना ज़रूरी होता है।
5. 💔 इंस्टेंट ब्रेकअप कल्चर:
अब ब्रेकअप एक "ऑप्शन" बन गया है।
कोई समस्या आई तो सोचते हैं — “लेट्स एंड इट”
जहाँ पहले लोग सोचते थे — “कैसे ठीक करें?”
6. 💸 आर्थिक दबाव:
शादी के बाद ज़िंदगी सिर्फ प्यार से नहीं चलती।
पैसे की टेंशन, ज़िम्मेदारियाँ और करियर का दबाव भी रिश्तों को प्रभावित करता
🧠 निष्कर्ष
आजकल लोग प्यार करते हैं, शादी भी करते हैं,
लेकिन निभाने की हिम्मत और समझदारी कम हो गई है।
सबको “पार्टनर” चाहिए,
पर “साथी” बनने को कोई तैयार नहीं।
आजकल शादी के अंदर होने वाले हत्या के मामलों या घरेलू अपराधों में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है —
चाहे वह पति की ओर से हो या पत्नी की ओर से।
इसके पीछे केवल एक नहीं, बल्कि कई मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक कारण होते हैं।
मैं इस विषय को सरल और स्पष्ट तरीके से नीचे बाँट रहा हूँ:
🔍 "शादी के भीतर हत्या या अत्यधिक हिंसा क्यों बढ़ रही है?"
1. 😡 विषैले रिश्ते और अहंकार की टक्कर
जब कोई रिश्ता प्यार से ज़्यादा अहंकार पर आधारित हो जाता है,
तो छोटी-छोटी बातें भी झगड़े में बदल जाती हैं।
अगर दोनों व्यक्ति भावनात्मक रूप से अपरिपक्व हों,
तो झगड़े कभी-कभी इस हद तक पहुँच जाते हैं कि
गुस्सा किसी की जान से बड़ा हो जाता है।
2. 🧠 मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ (अनदेखी और बिना इलाज के)
डिप्रेशन, बायपोलर डिसऑर्डर, गुस्से की समस्या, आत्म-मोह (नार्सिसिज़्म) —
ये सभी मानसिक बीमारियाँ अगर शादी के दौरान समय पर समझी और संभाली न जाएं,
तो ये खतरनाक व्यवहार में बदल सकती हैं।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर लोग खुलकर बात नहीं करते,
इसलिए कई बार ये समस्याएँ अंदर ही अंदर सड़ती रहती हैं,
और फिर एक दिन भयानक रूप ले लेती हैं।
3. 🔥 घरेलू हिंसा और बदले की भावना
अगर कोई साथी सालों तक शारीरिक या मानसिक अत्याचार झेलता है,
तो उसके अंदर बदले की भावना पनप सकती है।
ऐसे में कई बार लोग आवेग में आकर या सोच-समझकर अपराध कर बैठते हैं।
4. 💸 आर्थिक तनाव और दहेज से जुड़ी परेशानियाँ
पैसे का तनाव और दहेज की माँग जैसे कारणों से भी
लोग गुस्से या लालच में आकर चरम कदम उठा लेते हैं।
भारत में आज भी दहेज से जुड़े कई महिला हत्या के मामले दर्ज होते हैं।
5. ❤️ विवाहेतर संबंध / धोखा
जब किसी रिश्ते में भरोसा टूटता है,
तो चोट और विश्वासघात इतना गहरा हो जाता है कि
कुछ लोग अंधे बदले की भावना में आ जाते हैं।
कई बार लव ट्रायंगल या धोखेबाज़ी के मामलों में
जीवनसाथी की हत्या भी हो जाती है —
कभी भावनात्मक नुकसान की वजह से, तो कभी अत्यधिक अधिकार भावना के चलते।
6. 🚔 क़ानूनी जानकारी की कमी / देर से कार्रवाई
कई बार लोग घरेलू हिंसा को नज़रअंदाज़ करते रहते हैं,
या समय रहते शिकायत दर्ज नहीं करते।
जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है,
तब कोई गंभीर हादसा हो जाता है।
अगर समय पर कानूनी मदद, काउंसलिंग या हस्तक्षेप मिल जाए,
तो ऐसे अपराध रोकने योग्य होते हैं।
🧠 निष्कर्ष
“हत्या सिर्फ एक पल का क्रोध नहीं होती —
यह मन और दिल में लंबे समय से जमा हो रही ज़हरीली सोच का नतीजा होती है।”
और जब किसी रिश्ते में सम्मान, भरोसा और संवाद समाप्त हो जाए,
तो वह रिश्ता प्यार का नहीं, बल्कि एक मानसिक युद्धभूमि बन जाता है।
"शादी के भीतर होने वाले मर्डर या घरेलू हिंसा को कैसे कम किया जा सकता है?"
इसका समाधान केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक स्तर पर भी होना चाहिए।
मैं इसे सीधे, वास्तविक और व्यावहारिक तरीकों से समझाता हूँ — सरल हिंदी में:
🛑 "शादी के भीतर अपशाराधों को कैसे कम किया जाए?"
1. 🧠 मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता और विवाह-पूर्व काउंसलिंग
शादी से पहले काउंसलिंग ज़रूरी होनी चाहिए —
जहां दोनों व्यक्ति अपने डर, उम्मीदें और भावनात्मक स्वभाव के बारे में खुलकर बात करें।
गुस्से की समस्या, डिप्रेशन, बचपन के ट्रॉमा जैसी चीज़ों का समय पर इलाज ज़रूरी है।
“अगर मन स्वस्थ नहीं होगा, तो रिश्ता भी नहीं टिकेगा।”
2. 🗣 बेहतर संवाद और झगड़े सुलझाने की ट्रेनिंग
दंपतियों को यह सिखाना होगा कि
"कैसे झगड़े को बिना अपमान या हिंसा के सुलझाया जाए।"
अक्सर लोग सिर्फ इसलिए हिंसक हो जाते हैं क्योंकि
उनके पास अपने भाव व्यक्त करने का स्वस्थ तरीका नहीं होता।
3. 📚 शिक्षा और भावनात्मक परिपक्वता
शादी से पहले सिर्फ डिग्री नहीं,
लोगों को रिश्तों की समझ भी दी जानी चाहिए।
स्कूल और कॉलेज स्तर पर
भावनात्मक समझदारी (Emotional Intelligence) और
लिंग-सम्मान (Gender Respect) पर सेशंस अनिवार्य होने चाहिए।
4. 👨👩👧 पारिवारिक हस्तक्षेप कम और सहयोग अधिक
अक्सर रिश्ते तोड़ने या बिगाड़ने में
परिवार का अनावश्यक और नकारात्मक हस्तक्षेप होता है।
माता-पिता को भी यह समझना होगा कि:
"अपने बच्चों पर दबाव डालने के बजाय, उन्हें समझना और सही मार्गदर्शन देना ज़रूरी है।"
5. 🚨 सख्त कानूनी कार्यवाही और तेज़ न्याय प्रणाली
जो लोग घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न के ज़िम्मेदार हैं,
उन पर तुरंत और सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
साथ ही, झूठे मामलों से निपटने के लिए भी
कानून को न्यायपूर्ण और संतुलित होना चाहिए।
6. 📞 हेल्पलाइन, महिला प्रकोष्ठ और सहायक केंद्र
हर शहर और कस्बे में रिश्तों से जुड़े संकट केंद्र होने चाहिए,
जहां कोई भी जाकर गोपनीय तरीके से मदद ले सके।
लोगों को ये जानना चाहिए:
"मदद माँगना कमजोरी नहीं,
बल्कि अपनी सुरक्षा और मानसिक शांति का पहला कदम है।"
7. ❤ सांस्कृतिक बदलाव: शादी = साझेदारी, मालिकाना नहीं
समाज को यह समझना होगा कि
शादी किसी पर अधिकार जमाने का लाइसेंस नहीं है।
यह दो इंसानों के बीच एक समानता और सम्मान पर आधारित बंधन है।
जब तक हम सम्मान, व्यक्तिगत स्पेस और सीमाओं को नहीं समझेंगे —
हिंसा नहीं रुकेगी।
✅ अंतिम विचार:
🔑 “पहले रिश्ते बनाने के लिए समझदारी चाहिए थी,
अब रिश्ते बचाने के लिए उससे दोगुनी समझदारी चाहिए।”
रिश्तों को बचाने का पहला कदम जागरूकता है।
🌿 आज के समय में रिश्ते बनाए रखना और उन्हें मजबूत बनाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो गया है,
लेकिन यह पूरी तरह से संभव है — अगर दोनों लोग समझदारी, धैर्य और प्रयास के साथ अपने रिश्ते पर काम करें।
यहाँ कुछ व्यावहारिक और भावनात्मक सुझाव दिए गए हैं,
जो किसी भी रिश्ते को मज़बूत बना सकते हैं:
💛 1. संचार (खुलकर और ईमानदारी से बात करें)
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रोज़ बात करें — सिर्फ ज़रूरी नहीं, दिल की बातें भी करें।
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सुनना सीखें, सिर्फ जवाब देने के लिए नहीं, समझने के लिए।
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अगर किसी बात से ग़लतफ़हमी हो जाए, तो अहंकार छोड़कर सफ़ाई दें।
🤝 2. भरोसा और ईमानदारी
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छोटी बातें छुपाना भी एक तरह का झूठ होता है।
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पारदर्शिता रखें — चाहे वह दोस्तों की बात हो या सोशल मीडिया की।
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शक हो तो तुरंत साफ़ करें — चुप रहना रिश्ते में ज़हर घोल सकता है।
❤ 3. गुणवत्ता भरा समय बिताएं
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व्यस्त दिनचर्या के बीच भी थोड़ा समय निकालें —
चाहे एक खाना साथ खाना हो या थोड़ी सी सैर। -
मोबाइल फ़ोन को एक ओर रखकर, पूरा मन और ध्यान सामने वाले पर रखें।
🌱 4. व्यक्तिगत विकास की स्वतंत्रता दें
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हर व्यक्ति की अपनी पहचान और सपने होते हैं — उन्हें समझें और अपनाएं।
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हर वक्त साथ रहना प्यार नहीं, कब्ज़ा बन जाता है।
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उनके लक्ष्यों और रुचियों का समर्थन करें।
😔 5. झगड़े को समझदारी से सुलझाएं
-
हर रिश्ते में कभी न कभी बहस होती है —
फर्क इस बात से पड़ता है कि उसे कैसे सुलझाया जाता है। -
गुस्सा आए तो थोड़ा समय लें, फिर शांति से बात करें।
-
माफ़ी माँगना कमजोरी नहीं, बल्कि रिश्ते की सबसे बड़ी जीत होती है।
🎁 6. प्रशंसा और आभार जताएं
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अगर कोई आपको सहयोग दे रहा है या प्यार जता रहा है,
तो उसे स्वाभाविक या सामान्य न मानें। -
छोटी-छोटी बातों पर "धन्यवाद", "मुझे तुम पर गर्व है",
या "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ" जैसे शब्दों का जादू बहुत गहरा होता है।
🧠 7. सोशल मीडिया से तुलना न करें
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हर रिश्ता अनोखा होता है।
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जो कुछ इंस्टाग्राम या रील्स में दिखता है, वो हमेशा सच नहीं होता।
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अपने रिश्ते को अपने ढंग से विकसित होने दें।
🌸 अगर दोनों लोग मिलकर समझदारी + प्यार + धैर्य से रिश्ते में निवेश करें,
तो रिश्ता सिर्फ टिकता नहीं, बल्कि खिलता है।
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